बिहार की राजनीति में जनसुराज आंदोलन के नेता प्रशांत किशोर और बीजेपी सांसद संजय जायसवाल के बीच डीजल घोटाले को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। प्रशांत किशोर ने हाल ही में आरोप लगाया था कि बेतिया स्थित एक पेट्रोल पंप, जो संजय जायसवाल के भाई के नाम पर है, नगर निगम गाड़ियों को डीजल और पेट्रोल सप्लाई में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहा है। किशोर का दावा है कि निगम की गाड़ियों के बिल के नाम पर पांच करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया, जिसमें ज्यादातर राशि फर्जी और बढ़ाकर वसूली गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि नगर निगम की स्थाई समिति ने लगातार पांच बैठकों में इस पंप से खरीद बंद करने का फैसला लिया था, फिर भी सरकारी दबाव डालकर उसी पंप से आपूर्ति जारी रखी गई।
प्रशांत किशोर ने साथ ही यह आरोप भी जोड़ा कि संजय जायसवाल ने सालों तक बेतिया में नेशनल हाईवे फ्लाईओवर के निर्माण को रोके रखा, क्योंकि इससे उनके पेट्रोल पंप की बिक्री प्रभावित हो सकती थी। स्थानीय लोगों के दबाव के बाद ही उन्होंने सफाई दी कि निर्माण उनकी वजह से नहीं, बल्कि राज्य सरकार की अनुमति न मिलने के कारण रुका था।
इन गंभीर आरोपों पर बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने तीखा पलटवार किया है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि यदि नगर निगम की मेयर गरिमा देवी सिकारिया ने इस घोटाले का जिक्र किया है, तो क्या खुद उनका परिवार इसमें शामिल नहीं है? जायसवाल ने आरोप लगाया कि निगम की गाड़ियां पहले डीजल भरवाने जाती थीं और फिर बियाडा स्थित वार्ड पार्षद रोहित सिकारिया के गोदाम पर भेजी जाती थीं, जहां से तेल चोरी कर बेचा जाता था। उन्होंने सवाल उठाया कि जब समिति के पास सारे सबूत हैं, तो मेयर इन्हें सार्वजनिक क्यों नहीं करना चाहतीं।
संजय जायसवाल ने चेतावनी दी है कि वह इस पूरे मामले की जांच एसआईटी से करवाएंगे और बीते दो वर्षों में समिति के वार्डों में हुए सभी कार्यों का भी हिसाब लिया जाएगा। इस तकरार से स्पष्ट है कि डीजल घोटाले का मुद्दा अब बड़े राजनीतिक संग्राम का रूप ले चुका है।