इस वर्ष बिहार में साहित्य प्रेमियों के लिए एक विशेष आयोजन देखने को मिला। देश के चर्चित कथाकार अवधेश प्रीत को समर्पित पुस्तक मेले में इस बार एक अनोखी पहल की गई, जिसमें मेले के प्रमुख स्थलों और भवनों के नाम हमारे महान अचार्यों के नाम पर रखे गए। अपनी इस अनोखी पहल के माध्यम से यह योजना न केवल साहित्यिक जगत को सम्मानित करना है बल्कि युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और ज्ञान की धरोहर से जोड़ना भी है।
अगस्त्य मुख्य द्वार, विश्वामित्र मुख्य द्वार, माधव कला दीर्घा, और कश्यप मंच मेले में उपस्थित मुख्य स्थल और भवन हैं। आयोजकों ने बताया कि प्रत्येक नाम का चयन विशेष विचार और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखकर किया गया है। उदाहरण के लिए, ज्ञान और अध्ययन की शुरुआत के प्रतीक रूप में मेले का प्रवेश द्वार अगस्त्य मुख्य द्वार नाम से समर्पित है, जबकि माधव कला दीर्घा में कला और साहित्य के विविध पहलुओं को प्रस्तुत किया जाएगा।
पुस्तक मेले में आने वाले साहित्य प्रेमियों और विद्यार्थियों ने इस पहल की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि यह न केवल मेले को रोचक बनाता है, बल्कि भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों को भी जीवित रखने में मदद करता है। मेले में विभिन्न प्रकार की पुस्तकें, कार्यशालाएँ और साहित्यिक चर्चाएँ आयोजित की जा रही हैं, जिससे युवा और बड़े दोनों ही वर्ग के लोग प्रेरित हो रहे हैं।
अवधेश प्रीत की कहानियों और साहित्यिक योगदान को समर्पित यह मेला बिहार में साहित्यिक संस्कृति को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। आयोजकों का मानना है कि इस तरह की पहलें भविष्य में और भी कई क्षेत्रों में भारतीय संस्कृति और ज्ञान के प्रचार-प्रसार में योगदान देंगी।
इस पुस्तक मेले ने यह साबित कर दिया कि साहित्य और संस्कृति केवल पढ़ाई या मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज और युवा पीढ़ी के मानसिक विकास और प्रेरणा का स्रोत भी है।